Sunday, January 2, 2011

न छोड़ना दोस्ती का हाथ,

-- फुर्सत किसे है ज़ख्मों पे
मरहम लगाने की ,
निगाहें बदल गयी अपने और
बेगाने की ,
तू न छोड़ना दोस्ती का हाथ,
...वरना
तम्मना मिट
जायेगी कभी दोस्त बनाने
की ||

***sushil R tyagi
vadodara
gujarat**.
*

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